History of computer in Hindi
वर्तमान में कंप्यूटर का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है. दैनिक जीवन में इसका उपयोग बहुत अधिक होने लगा है. आप कोई भी क्षेत्र देख लो कंप्यूटर का योगदान अतुलनीय है. अतः हमारें लिए कंप्यूटर के इतिहास और उसके विकास का अध्धयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है.
आज के इस लेख में हम कंप्यूटर के इतिहास और विकास की विस्तार से चर्चा करेंगे. साथ ही भारत में हुए कंप्यूटर क्रांति की जानकारी में इस लेख में देंगें.
कम्प्युटर का इतिहास और विकास (History)
आज के आधुनिक कंप्यूटर का इतिहास लगभग 300 ई.पु. को माना जाता है. उस समय मनुष्य गणना के लिए पत्थर, ऊँगली इत्यादि का प्रयोग करते थे. शुरुवात में कंप्यूटर की खोज एक गणक के रूप में हुआ. आइये विस्तार से कंप्यूटर के विकास की चर्चा करते है.
computer एक ऐसी मानव निर्मित मशीन है जिसने हमारे काम करने, खेलने, रहने इत्यादि सभी के तरीकों में परिवर्तन कर दिया इसने हमारे जीवन के हर पहलू को किसी-न-किसी तरह से छूआ है। यह अविश्वसनीय अविष्कार ही कम्प्यूटर है।
कंप्यूटर का महत्व हमारे जीवन में बहुत अद्भुत है, उसी प्रकार इसके इतिहास को जानना हमारे लिए जरूरी है, जैसे की कंप्यूटर का निर्माण किसने किया था? इसका जन्म और कंप्यूटर के father कौन थे? क्या पहले भी लोग computer पर, गाने सुनते या letter type, game खेलतेकरते थे आदि.
1. ABACUS (अबेकस)
अबेकस का पूरा नाम Abundant Beads, Addition and Calculation Utility System है।
इसका उपयोग पहले यूरोप रूस और चीन में किया जाता था प्राचीन काल में जब लोगों के पास ज्यादा सुविधाएं नहीं थे तो उस समय लोग जीवन यापन के लिए शिकार पर निर्भर रहते थे तब लोग हड्डि, पत्थर और लाठी का उपयोग करके गणना करते थे फिर जैसे-जैसे समय बीता लोगों के मस्तिष्क में विकास हुआ और लोगों ने ऐसे मशीन बनाने की कल्पना की जो गणना करने में आसान हो। कहां जाता है कि अबेकस का विकास से कंप्यूटर के विकास की शुरुआत हुई
अबेकस की खोज चीन में हुआ था. जिसको लि काई चेन ने बनाया था. यह एक ऐसा कंप्यूटर है जिसका उपयोग आज भी किया जाता है इसमें कैलकुलेट करने के लिए आपको कॉपी पेन की आवश्यकता नहीं होती। इस डिवाइस की मदद से आप आसानी से गणितीय कार्य को कर सकते थे।
इस डिवाइस को बनाने के लिए आता का लकड़ी का प्रयोग किया जाता था जिसमें तार को लगाया जाता था और उन तारों पर मोतियों पिरोई जाती थी और गणना करने के लिए इन मोतियों को सरकाया जाता था। इसमें जोड़ घटा गुणा भाग आदि गणितीय क्रियाएं की जाती थी।
2. Napier’s Bones (नेपियर बोंनस)
अबेकस के बाद Napier’s Bones का आविष्कार हुआ जिसको 1617 में सर जॉन नेपियर ने बनाया। जॉन नेपियर ने एक ऐसे डिवाइस की कल्पना की जिससे हम आसानी से कैलकुलेट कर सकें इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने नेपियर बोंन का आविष्कार किया। नेपियर बोन को बनाने के लिए हड्डियों, लकड़ी, मेटल के रोड और हाथी के दांत आदि का उपयोग किया जाता था और इसको प्रॉपर सेफ में काटकर इसमें 0 से 9 तक के अंक लिखे जाते थे। इसमें केवल जोड़, गुणा, भाग ही संभव था।
3. Pascaline (पास्कल)
पास्कलाइन का आविष्कार एक फ्रांस गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल (Blaise Pascal) द्वारा 1642 में किया गया। मात्र 19 वर्ष की आयु में ब्लेज़ पास्कल ने एक ऐसे कैलकुलेटर मशीन का आविष्कार किया जो आगे जाकर कंप्यूटर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पास्कल ने इसे मुख्य रूप से अपने पिता की सहायता करने के लिये बनाया था, जो कि एक टेक्स अकाउंटेंट थे।
इस मशीन को एडिंग मशीन (Adding Machine) कहते थे, क्योकि यह केवल जोड़ या घटाव कर सकती थी। यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धान्त पर कार्य करती थी। इसमें एक लकड़ी का बॉक्स होता है जिसमें गियर्स और व्हील्स लगी होती हैं। इस पर कैलकुलेशन करने के लिए इन व्हील्स को घुमाया जाता है।
4. Reckoning Machine (रेक्कनिग मशीन)
1673 में जर्मन गणितज्ञ व दर्शनिक गॉटफ्रेड वॉन लेबनीज ने Pascaline का नया रूप तैयार किया, जिसे Reckoning Machine कहते हैं । Pascaline गणना यंत्र केवल जोड़ने व घटाने का ही काम कर सकता था, जबकि Reckoning Machine जोड़ घटा के अलावा गुणा व भाग काम भी कर सकता था।
Jacquard’s Loom (जेकार्ड लूम)
jacquard loom का निर्माण Joseph Marie Jacquard ने 1801 में किया। इस machine को कपड़ों पर pattern या design अंकित करने के लिए किया गया था। इस machine को पंच कार्ड्स से नियंत्रित किया जाता था। इन punch cards पर पैटर्न बने होते थे जिन्हें कपड़ों पर लगाया जाता था।
जेकार्ड के इस लूम ने कंप्यूटर के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसकी मदद से ही यह जानकारी प्राप्त हुई कि पंच कार्ड पर हम सूचना को अंकित करके रख सकते हैं तथा पंच कार्ड पर संग्रहित निर्देशों के अनुसार कंप्यूटर को चला सकते हैं
Difference engine (डिफ़रेंस इंजन)
1820 की शुरुआत से Charles Babbage ने Difference engine का अविष्कार किया था, जोकि 1822 तक पूरा हुआ था। यह एक मेकैनिकल कंप्यूटर था। Charles Babbage ने इस कंप्यूटर का निर्माण 1822 में किया। Charles Babbage ने इसे सिम्पल कैलकुलेशन करने के लिए बनाया गया था।
इस machine में गियर व शाफ्ट लगे थे तथा यह भाप से चलती थी, यह पूर्णतः स्वचालित machine थी, यह 60 जोड़ एक मिनट में कर सकती थी Difference engine पैसों की कमी के चलते चार्ल्स बैबेज ने इसको प्रॉपर रूप से डिवेलप नहीं किया लेकिन इस मशीन को पूरा करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने मदद की क्योंकि वह जानते थे कि इस मशीन के आने से अनेक फायदे होंगे.
Charles Babbage (चार्ल्स बैबेज)
Charles Babbage को कंप्यूटर का पिता कहा जाता है। यह इंग्लिश गणितज्ञ, पॉलीमैथ, दार्शनिक, आविष्कारक और ये मैकेनिकल इंजीनियर थे।
Babbage ने डिजिटल प्रोग्रामेबल कंप्यूटर की कल्पना की थी। इन्होंने डिफरेंस इंजन के बाद 1837 में first modern कंप्यूटर “Analytical engine” का बनाया।
एनालिटिकल इंजिन में Integrated मेमोरी और arithmetic logical unit यानी (ALU) मौजूद थे। पैसों की कमी के कारण उन्होंने अपने जीवनकाल कभी भी पूर्ण रूप से कंप्यूटर का अविष्कार नहीं किया।
Henry Babbage 1910 में मशीन के एक हिस्से का कार्य पूरा किया जो बेसिक कैलकुलेशन करने योग्य था. यह और कोई नहीं Charles Babbage का ही छोटा बेटा था. चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाए गए एनालिटिकल इंजन कंप्यूटर से ही प्रेरणा लेकर कंप्यूटरों का विकास हुआ वर्तमान समय में हम जो computer प्रयोग में लाते हैं। इस computer को इतना विकसित बनाने में चार्ल्स बैबेज का बहुत योगदान रहा तथा उनके महान विचारों और computer के प्रति अवधारणाए बहुत पक्की थी। इसलिए उन्हें फादर ऑफ कंप्यूटर या कंप्यूटर का जनक कहते हैं।
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Analytical Engine (एनालिटिकल इंजन)
computer के इतिहास में इस कंप्यूटर की अहम भूमिका हैं। डिफरेंस इंजन के बाद Charles Babbage ने 1837 में एनालिटिकल इंजन का निर्माण किया। Charles Babbage ने एनालिटिकल इंजन में पंच कार्ड्स का प्रयोग किया कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करने के लिए। एनालिटिकल इंजन उस समय पूर्व विकसित हुई मशीनों से बेहतर था।
यह कंप्यूटर लगभग हर प्रकार की गणितीय समस्याओं को हल कर सकता था। यह पंचकार्डो पर संग्रहित निर्देशों के अनुसार कार्य करने में सक्षम थी इसमें निर्देशों को संग्रहित करने की क्षमता थी और इसके द्वारा स्वचालित रूप से परिणाम भी छापे जा सकते थे। यह कंप्यूटर आधुनिक तकनीकों से युक्त था, जिस कारण इसको कंप्यूटर के विकास की नींव कहा जाता हैं। इसी कंप्यूटर के आधार पर आधुनिक (Fifth Generation of Computer) का निर्माण हूआ।
कीबोर्ड का आविष्कार
जैसे-जैसे कंप्यूटर का विकास हो रहा था. वैसे वैसे ही उसके अन्य उपयोगी डिवाइस का भी निर्माण आरंभ हो रहा था. जिसमें से एक है कीबोर्ड कीबोर्ड का आविष्कार क्रिस्टोफर लैथम शोलेज ने किया जिसे टाइपराइटर और QWERTY कीबोर्ड के जनक के नाम से भी जाना जाता है। फिर 1990 के आसपास के बोर्ड का अच्छा खासा विकास हो गया था जिसके माध्यम से हम कंप्यूटर को न्यूमैरिक डाटा और अंक तथा सिंबल के माध्यम से निर्देश दे सकते थे। कीबोर्ड के अविष्कार से कंप्यूटर को चलाना और भी आसान हो गया।
Tabulating machine
हर्मन होलेरिथ जो एक अमेरिकी वैज्ञानिक थे उन्होंने अमेरिका की जनगणना को तीव्र गति से करने के लिए 1890 में एक मशीन का निर्माण किया जिसका नाम था Tabulating machine पहले अमेरिका में परंपरागत रूप से जनगणना होते थे घर-घर जाकर लोगों की जनगणना करते थे तो उस में बहुत समय लगता था लगभग 7 वर्षों का समय लग जाता था लेकिन हर्मन होलेरिथ के Tabulating machine मशीन आने के कारण जनगणना का कार्य 7 वर्षों की बजाय केवल 3 वर्षों में ही पूर्ण हो गया। इस मशीन में पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था डाटा को संग्रहित कर के रखने के लिए। हर्मन होलेरिथ ने 1911 में टैबुलेटिंग मशीन कंपनी की स्थापना की थी । सन् 1924 में इस company का नाम बदलकर International Business Machine (IBM) रखा गया. जो आज पूरे विश्व में कंप्यूटर निर्माण करने वाली सबसे बड़ी कंपनी हैं.
प्रारम्भ के प्रसिद्ध कम्प्युटर
Mark 1 (मार्क 1)
यह कंप्यूटर History of computer में एक बड़ा बदलाव लाया, जब पहला programmable digital computer बनाया गया। Mark 1 computer को 1944 में IBM और Harvard University के प्रोफेसर Howard Aiken ने मिलकर बनाया गया था। यह विश्व का सबसे पहला विद्युत यांत्रिक कंप्यूटर (electro mechanical) क्योंकी इसमें विद्युतीय व यान्त्रिक दोनों ही प्रकार के उपकरण लगे थे. यह कंप्यूटर आकार में अत्यधिक बड़ा और बनावट में काफी जटिल था। इसकी मदद से जोड़, घटाव, गुणा, भाग इत्यादि की क्रियाएँ सम्पूर्ण होती थी. यह 6 सेकंड में 1 गुना और 12 सेकंड में 1 भाग की क्रिया कर सकता था।
ABC (Atanasoff Berry Computer)
गणित के प्रोफ़ेसर डॉ. जाँन एटानासॉफ ने अपने सहयोगी क्लिफार्ड-बैरी के साथ मिलकर प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बनाया. जिसका नाम Atanasoff Berry Computer अर्थात ABC रखा गया. इस computer का उपयोग एक साथ अनेक equation का सामाधान करने के लिए किया गया. ABC सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था। ABC में नियंत्रण और अंकगणितीय गणनाओं के लिए लगभग 300 vacuum tube, लॉजिकल ऑपरेशन, मेमोरी कैपेसिटर, बाइनरी नंबरों का उपयोग और input/output units के रूप में पंच कार्ड शामिल थे।
ENIAC (एनिअक)
एनिअक दुनिया का सबसे पहला, बृहद रूप से, सामान्य उद्देश्यीय, पूर्णत: इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर था। जिसका निर्माण सन् 1946 में पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जे. प्रेस्पर एकर्ट और जॉन मौशली (J. Prosper Eckert and John Mauchly) के निर्देशन में वैज्ञानिकों की एक टीम ने किया था। UNIVAC का पूरा नाम Universal Automatic Computer है। यूनिवैक प्रथम का निर्माण रेमिंग्टन रेण्ड (Remington Rand) द्वारा किया यह प्रथम ऐसा डिजिटल कम्प्यूटर था जिसका प्रयोग व्ययसायिक कार्यों में किया गया, और जो कई तरह के कार्यों को कर सकने में सक्षम था
EDSAC
EDSAC पूरा नाम Electronic Delay Storage Automatic calculator है। इसे हिंदी में इलेक्ट्रॉनिक देरी भंडारण स्वचालित गणना प्रणाली कहते है. इसे सन् 1940 ई. में don Newman के सिद्धांत के आधार पर प्रोफ़ेसर मांस विलेज, जो की गणित प्रयोगशाला Cambridge University में थे उन्होंने ने ही इसको निर्माण किया था. यह सबसे पहला संग्रहित program कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर पर पहली बार प्रोग्राम को Run किया गया था. EDSAC पर काम सन 1947 मे शुरू हुआ और इसने अपना पहला कार्य 6 मई 1949 को किया जब इसने वर्ग संख्याओं की तालिका बनाई और अभाज्य संख्याओं की गणना की। EDSAC को 1958 मे बंद कर दिया गया,
EDVAC
EDVAC Computer का पूरा नाम Electronic Discrete Variable Automatic Computer है, सन् 1950 में Bon Newman ने EDVAC का निर्माण किया जिसमें अंकगणितीय गणनाए हेतु बाइनरी अंक प्रणाली का उपयोग किया तथा निर्देशों को भी डिजिटल रूप में स्टोर किया गया. यह मशीन पूरी तरह से प्रोग्राम को स्टोर करके रखती थी यह एक ऐसा डिवाइस था जिसमें पहली बार computer game को रन किया गया था इसे फर्स्ट मेनफ्रेम कंप्यूटर भी कहा जाता है जो दशमलव प्रणाली की जगह भरी नंबर पर काम किया। EDVAC में magnetic tape का उपयोग किया जाता था जिसके कारण यह दिनभर चल सकता था। यह 5.5 kb की memory capacity के साथ mathematical कार्यों को पूरा करता था।
UNIVAC
1946 के समय Eckert एवं Mauchly ने UNIVAC कंप्यूटर का निर्माण किया लेकिन यह उतना सफल नहीं हुआ. फिर इसी का विकसित रूप Univac 1 कंप्यूटर बनाया। इस कंप्यूटर में लगभग 5000 वैकेंसी लगे हुए थे और इसका वजन भी काफी था लगभग 9 टन का। तथा यह कंप्यूटर बहुत बिजली की खपत भी करता था।
इसका Size बहुत बड़ा था और यह 35 स्क्वायर मीटर की जगह लेता था। इसमें input के लिए tape driver का उपयोग किया जाता था। इसकी Main मेमोरी में 1000 words तक store हो सकते थे। UNIVAC पूरा नाम Universal Automatic Computer है। यह पहला कमर्शियल electronic कंप्यूटर है जिसका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया गया था।
यह पहला ऐसा कंप्यूटर था जो न्यूमेरिकल इंफॉर्मेशन के साथ साथ टेक्सचुअल इंफॉर्मेशन भी देता था | न्यूमेरिकल जैसे 572, 39089 और टेक्सचुअल जैसे thank you ji, how are you.
UNIVAC पहला अमेरिकन कंप्यूटर था. जिसे बिजनेस के हिसाब किताब और काम काज के लिए बनाया गया था। इस कंप्यूटर के द्वारा हम math के कार्यों जैसे कि add, subtract, multiply, divide करना आदि को आसानी से हल कर सकते थे। UNIVAC का मूल्य बहुत ही High था इसे बड़ी company ही खरीदती थी। इसकी कॉस्ट लगभग 1.1 करोड़ रुपये के आसपास थी।
IBM
हर्मन होलेरिथ 1924 में टैबुलेटिंग मशीन कंपनी का नाम बदलकर आईबीएम रखा याने की हर्मन होलेरिथ ने ही आईबीएम कम्पनी की स्थापना की। IBM का फुल फॉर्म इंटरनेशनल बिजनेस मशीन है। IBM ने सबसे पहले 1953 में एक पहला computer IBM 701 बनाया गया यह एक electronic कंप्यूटर था जिस पर calculate किया जाता था. इसके बाद इस कंपनी में Programming Language का विकास किया गया. 1972 में IBM कंपनी के द्वारा ATM IBM 2984 बनाया गया. 1981 में IBM एक personal computer बनाया गया जिसका नाम IBM pc रखा गया.
First Mini Computer
दुनिया का पहला minicomputer IBM कंपनी ने बनाया था. IBM ने लगभग 1960 के दशक में Programmable Data Processor 1 (PAP 1) नाम का mini computer बनाया.PAP 1 एक बहुत ही popular मिनी कंप्यूटर है, IBM ने इस computer को business को ध्यान में रखकर बनाया था. Mini computer को आकार में माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा बनाया गया था तथा इसकी कीमत भी बहुत अधिक थी. PAP 1 की कीमत उस समय 16000 अमेरिकी Dollar थी, टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ आज mini computer आकार में छोटे हो गए हैं, और इनकी भी कीमत कम हो गयी है.
Microprocessor
माइक्रोप्रोसेसर कंप्यूटर का मुख्य भाग होता है इसे कंप्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है। इसे शार्ट में सीपीयू भी कहा जाता है जिसका पूरा नाम सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है इसे अंग्रेजी में चिप भी कहा जाता है।
माइक्रोप्रोसेसर का इतिहास
सन् 1969 मैं सबसे पहला माइक्रोप्रोसेसर इंटेल 4004 बनाया गया था लेकिन इसकी प्रोसेसिंग क्षमता बहुत कम थी। उसके बाद सन् 1971 में इंटेल 1008 माइक्रोप्रोसेसर का विकास हुआ इसी चीफ के कारण माइक्रो कंप्यूटर अर्थात पर्सनल कंप्यूटर का भी निर्माण आरंभ हुआ। उसके बाद 16 बीट 8086 प्रोसेसर का विकास हुआ सन 1978 में, उसके बाद 32 बिट प्रोसेसर का आविष्कार हुआ सन 1990 में। इस माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग व्यवसायिक रूप से उपलब्ध हुआ जिसमें 1 से अधिक प्रोग्राम को Run करने की क्षमता थी यानी कि यूजर इसमें मल्टीटास्किंग कर सकता था अर्थात एक ही समय में अनेक कार्य कर सकता था।
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निष्कर्ष
इसके बाद लगातार माइक्रो प्रोसेसर का विकास होता गया और उसे इतना विकसित किया गया कि कंप्यूटर का उपयोग हम वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा, बैंकिंग प्रकाशन, मनोरंजन, रेलवे, व्यापार, चिकित्सा, संचार आदि के क्षेत्र में सरलता से व सुविधा पूर्वक कार्य कर सकें और आज के समय में हम सभी लोग जानते हैं कि इन क्षेत्रों में कंप्यूटर का उपयोग बड़ी सरलता से और सुविधा पूर्वक किया जा रहा है इसने हमारे काम करने के तरीकों में व्यापक परिवर्तन लाया है घंटों का काम अब मिनटों में हो रहा है सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का अविष्कार अहम और अतुलनीय है।
FAQ
कंप्यूटर की खोज कब हुई?
कंप्यूटर के खोज के लिए Charles Babbage को जाना जाता है जिन्होंने सन 1837 में पहला मैकनिकल कंप्यूटर का आविष्कार किया था.
भारत में कंप्यूटर की खोज कब हुई?
भारत में कंप्यूटर की खोज “भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता” ने सन 1952 में किया था.
कंप्यूटर का पुराना नाम क्या है?
कंप्यूटर का पुराना नाम “यूनिवर्सल ट्यूरिंग मशीन” है इस नाम को कंप्यूटर के आविष्कार के शुरुवाती समय में मिला था.
कंप्यूटर क्या है इसके प्रकारों
कंप्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (Electronic Device) है और उपयोगकर्ता द्वारा इनपुट किये गये डाटा को प्रोसेस करने के रूप में किया जाता है.
1. सुपर कंप्यूटर (Super Computer)
2. मेनफ़्रेम कंप्यूटर (Mainframe Computer)
3. मिनी कंप्यूटर (Mini Computer)
4. माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer )
मुझे आशा है की मैंने जो कम्प्युटर का इतिहास और विकास (History of computer in Hindi) का जानकारी दिया है वो आप लोगो को पसंद आया होगा. अगर आप किसी को कोई भी डाउत या सुझाव देना हो तो आप इस लेख History of computer in Hindi में कमेंट कर के बता सकते है.
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