IP Address in Hindi | IP एड्रेस क्या है कैसे काम करता है? हिन्दी नोट्स

दोस्तों! यदि आप इन्टरनेट यूजर है तो आपने कभी न कभी IP Addressका नाम जरुर सुना होगा क्योकिं मोबाइल, कंप्यूटर और इन्टरनेट की दुनियाँ में IP Address के बिना कुछ नहीं हो सकता है। IP Address के माध्यम से ही नेटवर्क possible हो पाता है जिससे एक डिवाइस दुसरे डिवाइस से communicate कर पातें है तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की IP Address क्या है? और IP Address कैसे काम करता है? तो दोस्तों आइये देखते है:-

दोस्तों! यदि आप इन्टरनेट यूजर है तो आपने कभी न कभी IP Addressका नाम जरुर सुना होगा क्योकिं मोबाइल, कंप्यूटर और इन्टरनेट की दुनियाँ में IP Address के बिना कुछ नहीं हो सकता है। IP Address के माध्यम से ही नेटवर्क possible हो पाता है जिससे एक डिवाइस दुसरे डिवाइस से communicate कर पातें है तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे की IP Address क्या है? और IP Address कैसे काम करता है? तो दोस्तों आइये देखते है:-

IP Address क्या है? (IP Address in Hindi?)

IP एड्रेस एक एड्रेस है जिसका उपयोग नेटवर्क में किसी भी डिवाइस या कंप्यूटर को identify करने के लिए उपयोग किया जाता है या दुसरे शब्दों में, IP Address नेटवर्क में होस्ट और राऊटर के मध्य एक यूनिक एड्रेस होता है जिसका उपयोग डिवाइस आपस में कम्युनिकेशन के लिए करते है। IP Address का पूरा नाम Internet Protocol Address होता हैं। यह एक unique identifying number होता है। IP Address का उपयोग नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक डिवाइस को identify (पहचान) करने के लिए किया जाता है।

दुसरे शब्दों में नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर या डिवाइस को पहचान करने के लिए एक एड्रेस दिया जाता है जिसे IP Address कहा जाता है। यह एक यूनिक एड्रेस होता है अर्थात नेटवर्क के प्रत्येक कंप्यूटर या डिवाइस का IP एड्रेस अलग अलग होता है।

Example: 192.168.1.1 (IPv4 version में)

►Part of IP Address (IP एड्रेस के पार्ट): –

IP एड्रेस को दो पार्ट में विभाजित किया गया है जो निम्नलिखित है:-

  1. Network Part
  2. Node Part
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Network Part: – IP एड्रेस का यह portion नेटवर्क के एड्रेस को स्टोर करता है।

Node Portion: – IP एड्रेस का यह portion किसी भी नेटवर्क के पर्टिकुलर नोड के एड्रेस को स्टोर करता है।

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IP Address का उपयोग क्यों किया जाता है?

इन्टरनेट से जुड़ने वाले सभी डिवाइस या कंप्यूटर को पहचान करने के लिए IP एड्रेस प्रदान किया जाता है IP एड्रेस के माध्यम से हम यह जान पाते है की जो मैसेज या डाटा आया है वह किस फिजिकल लोकेशन के कंप्यूटर से आया है। जिस प्रकार कम्युनिकेशन के लिए हम लोगो के एड्रेस बहुत जरुरी होते है उसी प्रकार कंप्यूटर से कम्युनिकेशन के लिए IP एड्रेस भी बहुत जरुरी होता है। इन्टरनेट में कंप्यूटर एक दुसरे को IP एड्रेस के माध्यम से ही डाटा या फाइल ट्रांसमिट कर पाते है।

IP Address को प्रदान कौन करता है?

IANA (Internet Assigned Numbers Authority) एक आर्गेनाइजेशन है जिसका मुख्य कार्य विभिन्न संस्थाओ एवम् ISP (Internet Service Provider) को IP Address की रेंज प्रदान करना होता है। उस IP Address की रेंज को ISP तथा संस्था अपने यूजर को प्रोवाइड करते है।

Internet Protocol क्या है?

IP का पूरा नाम इन्टरनेट प्रोटोकॉल है यह एक पैकेट-स्विच्ड प्रोटोकॉल (Packet-Switched Protocol) है। जो OSI और TCP/IP मॉडल के नेटवर्क लेयर पर कार्य करता है। इन्टरनेट प्रोटोकॉल एड्रेसिंग और रूटिंग के लिए responsible होता है यह प्रोटोकॉल नेटवर्क में डाटा पैकेट को सोर्स से डेस्टिनेशन तक ट्रांसमिट करने का कार्य करता है।

Internet protocol को connection-less प्रोटोकॉल भी कहा जाता है क्योकिं यह प्रोटोकॉल डाटा पैकेट को ट्रांसमिट करते समय acknowledgement का उपयोग नहीं करता है और न ही नेटवर्क का सेटअप करता है जिसके कारण डाटा पैकेट के डेस्टिनेशन तक पहुचने की गारेंटी नहीं होती है अतः इस प्रोटोकॉल को unreliable protocol भी कहा जाता है।

इन्टरनेट प्रोटोकॉल के वर्शन

इन्टरनेट प्रोटोकॉल के दो वर्शन है जो निम्नलिखित है: –

  1. IPv4 (Internet Protocol Version 4)
  2. IPv6 (Internet Protocol Version 6)

IPv4 in Hindi (IPv4 क्या है?)

IPv4 का तात्पर्य Internet Protocol Version 4 है। IPv4 में 32 बिट एड्रेस का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में IPv4 एड्रेस का प्रयोग सबसे ज्यादा हो रहा है लेंकिन IPv4 के एड्रेस समाप्त होने वाला है जिसके कारण IPv6 का उपयोग भी होने लगा है वर्तमान में आने वाले नए डिवाइसों में IPv4 के साथ साथ IPv6 एड्रेस का भी उपयोग होने लगा है।

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IPv4 में 32 बिटके एड्रेस का उपयोग होता है जो 4 octet में बंटा होता है जिसके प्रत्येक octet में 0 से 255 तक की value होती है।

IPv6 in Hindi (IPv6 क्या है?)

IPv6 का तात्पर्य Internet Protocol Version 6 है। IPv6में 128 बिट एड्रेस का उपयोग किया जाता है। IPv6 Address को 8 ब्लॉक में represent किया जाता है जिसके प्रत्येक ब्लॉक 16 बिटके होते है और प्रत्येक ब्लॉक हेक्साडेसिमल फॉर्मेट में होता है और ब्लॉक को कोलन (:) से अलग अलग किया जाता है।

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IPv6 में 128 बिट के एड्रेस का उपयोग होता है अतः इसमें कुल IP Address की संख्या 2 की घात 128 अर्थात 340 Undecillion होती है जबकि IPv4 में 32 बिट के एड्रेस का उपयोग होता है अतः IPv4 में कुल IP Address की संख्या 2 के घात 32 अर्थात 4.3 बिलियन होती है। एक सर्वे के अनुसार दुनिया भर में 7 बिलियन लोग रहते है मान लीजिए यदि प्रत्येक व्यक्ति एक डिवाइस भी रखता है तो IPv4 की एड्रेस रेंज 4 बिलियन असानी से समाप्त हो जाती है ऐसे में हमें IPv6 की जरुरत पड़ती है अतः वर्तमान में आने वाले डिवाइस में IPv6 IP Address का उपयोग किया जा रहा है।

IPv4 और IPv6 में अंतर

  1. IPv4 का पूरा नाम इन्टरनेट प्रोटोकल वर्शन 4 है जिसमे 32 बिटके IP Address का उपयोग किया जाता है। जबकि IPv6 का पूरा नाम Internet Protocol Version 6 है जिसमें 128 बिटके IP Address का उपयोग किया जाता है।
  2. IPv4 में एड्रेस की संख्या IPv6 की तुलना में बहुत ही कम है IPv4 में IP Address की संख्या 2 की घात 32 अर्थात 4.3 Billion होती है जबकि IPv6 में IP एड्रेस की कुल संख्या 2की घात128 अर्थात 340 Undecillion होती है।
  3. IPv4 इन्टरनेट प्रोटोकॉल का पुराना वर्शन है जिसके IP एड्रेस पूरा उपयोग हो चूका है जबकि IPv6इन्टरनेट प्रोटोकॉल का नया वर्शन है जिसका उपयोग अभी अभी शुरू हुआ है।

IP Address का कॉन्फ़िगर मेथड

किसी भी कंप्यूटर या डिवाइस को IP Address प्रदान करने के 3 तरीके होते है जो निम्नलिखित है: –

  1. Manual Configuration
  2. Automatic Configuration with APIPA
  3. Automatic Configuration with DHCP
1.Manual Configuration: –

जब यूजर किसी भी कंप्यूटर या डिवाइस को मैन्युअली IP Address प्रोवाइड करता है तो इस मेथड को मैन्युअल कॉन्फ़िगरेशन कहा जाता है। इस मेथड से IP एड्रेस कॉन्फ़िगर करने में समय अधिक लगता है लेकिन नेटवर्क का मेंटेनेंस करना बहुत असान होता है।

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2.Automatic Configuration with APIPA: –

APIPA का पूरा नाम Automatic Private IP Addressing है। इस मेथड में कंप्यूटर या डिवाइस को automatically IP एड्रेस assign हो जाता है इस मेथड में DHCP नहीं होता है साथ ही मैन्युअल मेथड की तुलना में इसमें नेटवर्क मेंटेनेंस कठिन होता है क्योकिं IP एड्रेस कोई सीरीज में नहीं होता है।

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3. Automatic Configuration with DHCP: –

जब नेटवर्क में उपस्थित सभी कंप्यूटर या डिवाइस को DHCP सर्वर के माध्यम से IP Addressआटोमेटिक प्रोवाइड किया जाता है तो इस मेथड को DHCP मेथड कहा जाता है। DHCP का पूरा नाम Dynamic Host Control Protocol होता है। इस मेथड के माध्यम से नेटवर्क में IP Address को कॉन्फ़िगर हमें सर्वर में DHCP को enable करना पड़ता है।

IP Address के प्रकार

दोस्तों! IP Address के उपयोग के आधार पर इन्हें कई केटेगरी में बाँटा गया है जो निम्नलिखित है: –

Private IP Address (प्राइवेट IP एड्रेस क्या है)

प्राइवेट IP एड्रेस वह IP Address है जिसका उपयोग किसी भी नेटवर्क के अंदर में router और कंप्यूटर के बिच में कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है। राऊटर इन्टरनल कम्युनिकेशन के लिए नेटवर्क से जुड़े सभी डिवाइस या कंप्यूटर को प्राइवेट IP एड्रेस assign करता है या इसे यूजर मैन्युअली कॉन्फ़िगर भी कर सकता है। प्राइवेट IP एड्रेस static या dynamicदोनों प्रकार के हो सकते है।

Public IP Address (पब्लिक IP एड्रेस क्या है)

पब्लिक IP एड्रेस वह IP Address है जिसका उपयोग नेटवर्क के बाहर या इन्टरनेट में डिवाइसों एवम् कंप्यूटर के बिच कम्युनिकेशन के लीये किया जाता है। सामान्यतः पब्लिक IP एड्रेस को ISP(Internet Service Provider) के द्वारा assign किया जाता है। वेब सर्वर, ईमेल सर्वर या कोई भी सर्वर इन्टरनेट से डायरेक्ट एक्सेस किये जा सकते है।

पब्लिक IP एड्रेस पुरे विश्व स्तर पर यूनिक एड्रेस होता है अर्थात इन्टरनेट पर किसी भी दो डिवाइस के पब्लिक IP एड्रेस समान नहीं हो सकते है। यह मुख्य IP एड्रेस होता है जिसका उपयोग बाहरी नेटवर्क या इन्टरनेट से कम्युनिकेशन के लिए उपयोग किया जाता है। पब्लिक आई पी एड्रेस static या dynamic दोनों प्रकार के हो सकते है।

उदाहरण: – मान लीजिए आपके घर के अन्दर कई कंप्यूटर है और आप घर के सभी कंप्यूटर को एक प्राइवेट IP एड्रेस के माध्यम से communicate करना चाहते है तो आपको एक राऊटर की जरुरत पड़ेगी तब इस स्थिति में राऊटर को ISP के माध्यम से पब्लिक IP एड्रेस मिलेगा। और आप राऊटर से सभी कंप्यूटर को connect करेंगे तब DHCP सर्वर के माध्यम से सभी कंप्यूटर को प्राइवेट आई पी एड्रेस मिलेगा।

Static IP Address

Static IP एड्रेस वह IP Address है जिसको डिवाइस या कंप्यूटर में manuallyप्रदान किया जाता है। इस IP एड्रेस को Static IP Address इसलिए कहा जाता है क्योकिं यह स्थायी होता है। यूजर जब तक डिवाइस के IP एड्रेस को change नहीं करता है वह change नहीं होता है।

Dynamic IP Address

डायनामिक इन्टरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस एक अस्थायी IP Address होता है जो नेटवर्क में connect होने वाले कंप्यूटर या नोड को प्रोवाइड किया जाता है। डायनामिक IP एड्रेस आटोमेटिक कॉन्फ़िगर होता है जो उस नेटवर्क में उपस्थित DHCP सर्वर के माध्यम से प्रदान किया जाता है।

नेटवर्क से जुड़ने वाले कंप्यूटर या डिवाइस को सामान्यतः डायनामिक IP एड्रेस उस नेटवर्क के ISP(internet service provider) के द्वारा प्रदान किया जाता है।

Public और Private IP Address में अंतर

  1. Private IP एड्रेस का उपयोग निजी स्थान में कंप्यूटरों के मध्य कम्युनिकेशन कराने के लिए किया जाता है जबकि पब्लिक IP एड्रेस का उपयोग इन्टरनेट में कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है।
  2. पब्लिक IP एड्रेस वालें डिवाइस को बाहर के नेटवर्क या इन्टरनेट से डायरेक्ट एक्सेस किया जा सकता है जबकि प्राइवेट IP एड्रेस से डिवाइस को इन्टरनेट या बाहर से डायरेक्ट एक्सेस नहीं किया जा सकता है।

Static और Dynamic IP Address में अंतर

  1. Static IP एड्रेस स्थायी एड्रेस होते है जबकि Dynamic IP एड्रेस अस्थायी होते है।
  2. Dynamic IP एड्रेस वाले नेटवर्क में एक ही डिवाइस को बार–बार जुड़ने पर अलग–अलग IP एड्रेस assign होता है जबकि Static IP एड्रेस वाले नेटवर्क में एक ही डिवाइस के बार–बार जुड़ने पर भी उसका IP एड्रेस change नहीं होता है।
  3. Static IP एड्रेस को मैन्युअली प्रोवाइड किया जाता है जबकि डायनामिक IP एड्रेस को APIPA (Automatic Private IP Addressing) या DHCP (Dynamic Host Control Protocol) सर्वर के माध्यम से प्रदान किया जाता है।
  4. Static IP Address स्थायी होने के कारण नेटवर्क में किसी भी अन्य कंप्यूटर या डिवाइस प्रदान नहीं किया जा सकता है जबकि Dynamic IP एड्रेस नेटवर्क में अलग-अलग समय में अलग-अलग डिवाइस या कंप्यूटर को प्रदान किया जा सकता है।

IP Address Classes in Hindi

दोस्तों! IPv4 में नेटवर्क डिवाइसों के लिए Addressing System को 5 क्लासेस में बाँटा गया है और प्रत्येक क्लास को उसके first octet के आधार पर पहचाना जाता है: –

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Class A IP Address in Hindi

जिन IP Address के first octet की रेंज 0 से 127 तक होती है उन्हें Class A आईपी एड्रेस कहा जाता है। क्लास A की IP रेंज 1.x.x.x से 127.x.x.x तक होती है। Class A का डिफ़ॉल्ट सबनेट मास्क 255.0.0.0 होता है और क्लास A में मैक्सिमम 126 नेटवर्क एड्रेस तथा 16777214 होस्ट एड्रेस उपलब्ध होते है।

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Class A उपयोग बहुत बड़े बड़े आर्गेनाइजेशन में किया जाता है जिसके नेटवर्क में होस्ट की संख्या बहुत अधिक होती है उन कंपनी में क्लास A का उपयोग होता है।

Class B IP Address in Hindi

जिन IP Address की रेंज 128.0.x.x से 191.255.x.x तक होती है। उन्हें Class B Addresses कहा जाता है। Class B का डिफ़ॉल्ट सबनेट मास्क 255.255.0.0 होता हैऔर क्लास B में मैक्सिमम 16384 नेटवर्क एड्रेस तथा 65534 होस्ट एड्रेस उपलब्ध होते है।

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Class C IP Address in Hindi

जिन IP Address की रेंज 192.0.0.x से 223.255.255.x तक होती है। उन्हें Class C Addresses कहा जाता है। Class C का डिफ़ॉल्ट सबनेट मास्क 255.255.255.0 होता हैऔर क्लास C में मैक्सिमम 2097152 नेटवर्क एड्रेस तथा 254 होस्ट एड्रेस उपलब्ध होते है।

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क्लास C में IP Address का 3 पार्ट नेटवर्क के लिए तथा एक पार्ट होस्ट के लिए उपयोग होता है अर्थात Class C में नेटवर्क की संख्या नोड की संख्या से काफी अधिक होती है छोटे छोटे कंपनी, साइबर कैफे, स्कूल, कॉलेज इत्यादि में इसका उपयोग होता है। Class C का उपयोग अन्य सभी Class से अधिक होता है।

Class D IP Address in Hindi

जिन IP Address की रेंज 224.0.0.0 से 239.255.255.255 तक होती है। उन्हें Class D एड्रेस कहा जाता है। Class D में कोई भी सबनेट मास्क नहीं होता है Class D को Multi-casting के लिए रिज़र्व रखा गया है।

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Class E IP Address in Hindi

जिन IP Address की रेंज 240.0.0.0 से 255.255.255.255 तक होती है। उन्हें Class E Addresses कहा जाता है। Class E में कोई भी सबनेट मास्क नहीं होता है Class E को Experimental Purpose & Study के लिए रिज़र्व रखा गया है।

आईपी ​​कैसे काम करता है?

आईपी (IP) इंटरनेट प्रोटोकॉल का एक हिस्सा है जो नेटवर्क से डेटा के पैकेट को रूट करने में मदद करता है। आईपी के जरिए, एक उपयोगकर्ता एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क या इंटरनेट के माध्यम से डेटा को भेज सकता है।

जब एक उपयोगकर्ता अपने कंप्यूटर से इंटरनेट या दूसरे नेटवर्क पर डेटा भेजता है, तो उसके कंप्यूटर के आईपी पते से उस डेटा के पैकेट को तैयार किया जाता है। फिर उस पैकेट को नेटवर्क में भेजा जाता है और उसमें ट्रांसफर की गई डेटा का आईपी पता शामिल होता है। जब पैकेट अपने लक्ष्य तक पहुंचता है, तो पैकेट के अंतिम मंच कंप्यूटर, सर्वर, राउटर या अन्य नेटवर्क डिवाइस पर पहुंचता है जो उस आईपी पते से जुड़ा हुआ होता है।

आईपी एड्रेस कौन जारी करता है?

आईपी (IP) एड्रेस जारी करने के लिए विश्व स्तर पर अधिकांश नेटवर्क संसाधनों का उपयोग किया जाता है। आईपी एड्रेस ब्लॉक वितरण संगठन (RIR) एक्सएसएस (American Registry for Internet Numbers), अफ्रीनिक (African Network Information Center), एप्निक (Asia-Pacific Network Information Centre), इनेक (Latin America and Caribbean Network Information Centre) और रिपेन (Réseaux IP Européens Network Coordination Centre) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। ये संगठन अपने क्षेत्र में नेटवर्क एड्रेस ब्लॉक के लिए अनुपात और सीमाओं का प्रबंधन करते हैं। उन्हें नेटवर्क संचालकों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को अनुदान करने और आवंटित नेटवर्क एड्रेस ब्लॉक को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें दिया जाता है।

आईपी एड्रेस का क्या महत्व है?

आईपी एड्रेस नेटवर्क में कंप्यूटर की पहचान करने के लिए आवश्यक है. जैसे हम लोगो की पहचान के लिए आधार संख्या का उपयोग होता है जो की यूनिक होता है किसी भी 2 व्यक्ति का आधार सामान नहीं हो सकता है.

उसी प्रकार नेटवर्क में आईपी एड्रेस एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है जिससे नेटवर्क में डिवाइस की पहचान किया जाता है.

IPv4 और IPv6 क्या है?


IPv4 और IPv6 दोनों इंटरनेट प्रोटोकॉल होते हैं जो इंटरनेट पर डेटा को भेजने और प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

IPv4 इंटरनेट प्रोटोकॉल एक 32-बिट एड्रेसिंग स्कीम है, जो 4 बाइट (या 4 नंबर) से बना होता है। यह उपयोगकर्ता के इंटरनेट प्रोटोकॉल अधिकांश समय तक उपलब्ध होता रहा है, लेकिन जिसमें केवल 4.3 बिलियन (4.3 x 10^9) एड्रेस होते हैं जो कि अब बहुत कम होते जा रहे हैं।

IPv6 इंटरनेट प्रोटोकॉल एक 128-बिट एड्रेसिंग स्कीम है, जो 16 बाइट (या 8 नंबर) से बना होता है। इसमें 340 अन्तर्जातीय एड्रेस होते हैं, जो अधिक से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए पर्याप्त होते हैं। IPv6 भविष्य में इंटरनेट प्रोटोकॉल का मुख्य हिस्सा बनने की उम्मीद है।

FAQ

आईपी एड्रेस कितने प्रकार के होते हैं?

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आईपी एड्रेस दो प्रकार के होते है.
1. IPv4 (internet protocol version 4)
2. IPv6 (Internet protocol version 6)

आईपी एड्रेस की पहचान कैसे की जाती है?

IP Address in Hindi | IP एड्रेस क्या है कैसे काम करता है? हिन्दी नोट्स computervidya

नेटवर्क में उपस्तिथ किसी भी डिवाइस की पहचान उसके IP एड्रेस से लगाया जाता है. IP एड्रेस एक यूनिक नंबर होता है जो नेटवर्क में डिवाइस की पहचान करता है.

मेरा मुख्य आईपी पता क्या है?

अपने कंप्यूटर या लैपटॉप का आईपी एड्रेस पता करने के लिए आपको ipconfig/all कमांड को रन करना होगा. इससे आपको आपके कंप्यूटर का IP एड्रेस पता चल जायेगा.

आईपी ​​एड्रेस के पहले 3 नंबरों का क्या मतलब है?

आईपी ​​एड्रेस के पहले 3 नंबरों का मतलब देश को दर्शाते हैं. ये नंबर इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्ज़न 4 (IPv4) में दो तरह के नेटवर्क क्लासों को दर्शाते हैं – ए, बी और सी क्लास

IPv4 में कितने बिट होते हैं?

IPv4 में 32 बिट अर्थात 4 बाइट के होते है. 4 ब्लाक में लिखा जाता है जैसे 192.168.1.100

हमें आईपी एड्रेस की आवश्यकता क्यों है?

आईपी एड्रेस एक यूनिक नंबर होता है जो इंटरनेट पर कंप्यूटर नेटवर्क के डिवाइसों को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि किस डिवाइस को जानकारी भेजना है। आईपी एड्रेस के बिना, इंटरनेट पर कंप्यूटर नेटवर्क का आवेदन संभव नहीं होता

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Conclusion

तो दोस्तों उम्मीद करते है की हमारी यह पोस्ट What is IP Address in Hindi (IP Address क्या है?) आपको जरुर पसंद आई होगी। अगर आपको IP Address in Hindi पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के इसे Facebook, whatsapp इत्यादि में शेयर करें और अगर आपका IP Address in Hindi कोई सवाल या सुझाव हो तो पोस्ट के निचे कमेंट करना ना भूलें।

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